20 Year Old Migrant Worker Mahesh Jena Who Cycled 1700 Km From Maharashtra To Odisha Discharged After Quarantine – मजदूर को क्वारंटीन के बाद मिली छुट्टी, 1700 किमी साइकिल चलाकर पहुंचा था गांव




न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भुवनेश्वर
Updated Mon, 27 Apr 2020 10:19 AM IST

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महाराष्ट्र के सांगली से 1700 किमी साइकिल चलाकर ओडिशा पहुंचने वाला 20 वर्षीय महेश जेना को क्वारंटीन की अवधि पूरी होने के बाद छु्ट्टी दे दी गई है। महेश ने बताया कि महाराष्ट्र में एक कंपनी में कर्मचारी था जहां मुझे आठ हजार रुपये वेतन मिलता था। 

लॉकडाउन लागू होने के बाद से मुझे वेतन मिलना बंद हो गया और मुझे खाने की कमी होने लगी। तब मैंने ओडिशा में अपने मूल स्थान पर जाने का फैसला किया। मैंने अपने दोस्त से 3000 रुपये उधार लिए और एक अप्रैल को साइकिल से सांगली से ओडिशा के लिए निकल गया। 

महेश ने बताया कि यात्रा के दौरान मुझे कहीं भोजन नहीं मिलता था। कुछ दिनों तक मैंने सड़क के किनारे बने ढाबों पर खाना खाया। हैदराबाद में मेरी साइकिल भी पंक्चर हो गई थी। इतनी परेशानियों का सामना करने के बाद आखिरकार मैं सात अप्रैल को जाजपुर पहुंच गया।

महेश ने आगे कहा कि जाजपुर सीमा पर पहुंचने के बाद मैंने मेडिकल स्टाफ के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। महेश ने अपनी यात्रा सात दिन में पूरी की और हर दिन लगभग 14-15 घंटे साइकिल चलाई। जेना ने कहा कि रात में सोने के लिए मैं मंदिरों जैसे सुरक्षित स्थानों की तलाश करता था। 

जेना ने आगे कहा कि मुझे कई बार राज्यों की सीमाओं पर तैनात पुलिस द्वारा रोका गया, लेकिन जब भी मैं उन्हें बताता कि मैं महाराष्ट्र से आ रहा हूं और ओडिशा जा रहा हूं तो वो मुझे जाने देते। शायद उन्हें लगता होगा कि मैं मजाक कर रहा हूं।

महाराष्ट्र के सांगली से 1700 किमी साइकिल चलाकर ओडिशा पहुंचने वाला 20 वर्षीय महेश जेना को क्वारंटीन की अवधि पूरी होने के बाद छु्ट्टी दे दी गई है। महेश ने बताया कि महाराष्ट्र में एक कंपनी में कर्मचारी था जहां मुझे आठ हजार रुपये वेतन मिलता था। 

लॉकडाउन लागू होने के बाद से मुझे वेतन मिलना बंद हो गया और मुझे खाने की कमी होने लगी। तब मैंने ओडिशा में अपने मूल स्थान पर जाने का फैसला किया। मैंने अपने दोस्त से 3000 रुपये उधार लिए और एक अप्रैल को साइकिल से सांगली से ओडिशा के लिए निकल गया। 

महेश ने बताया कि यात्रा के दौरान मुझे कहीं भोजन नहीं मिलता था। कुछ दिनों तक मैंने सड़क के किनारे बने ढाबों पर खाना खाया। हैदराबाद में मेरी साइकिल भी पंक्चर हो गई थी। इतनी परेशानियों का सामना करने के बाद आखिरकार मैं सात अप्रैल को जाजपुर पहुंच गया।

महेश ने आगे कहा कि जाजपुर सीमा पर पहुंचने के बाद मैंने मेडिकल स्टाफ के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। महेश ने अपनी यात्रा सात दिन में पूरी की और हर दिन लगभग 14-15 घंटे साइकिल चलाई। जेना ने कहा कि रात में सोने के लिए मैं मंदिरों जैसे सुरक्षित स्थानों की तलाश करता था। 

जेना ने आगे कहा कि मुझे कई बार राज्यों की सीमाओं पर तैनात पुलिस द्वारा रोका गया, लेकिन जब भी मैं उन्हें बताता कि मैं महाराष्ट्र से आ रहा हूं और ओडिशा जा रहा हूं तो वो मुझे जाने देते। शायद उन्हें लगता होगा कि मैं मजाक कर रहा हूं।




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